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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दुनिया का सबसे खूबसूरत कुत्ता, कई विज्ञापनों में दिखा चुका है जलवे

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दुनिया का सबसे खूबसूरत कुत्ता, कई विज्ञापनों में दिखा चुका है जलवे
कई बार फेसबुक पर स्क्रॉल करते वक्त हमारी नज़र ऐसी चीजों पर पड़ती हैं, जहां बरबस ही नजरें रुक जाती हैं और इन्हें निहारे बिना आप आगे नहीं बढ़ पाते. ये कोई खूबसूरत पेंटिंग हो सकती है या फिर कोई शानदार वीडियो. लेकिन सोशल मीडिया पर आजकल एक कुत्ता अपनी खूबसूरती के चलते वायरल हो गया है और यकीनन यह दुनिया के सबसे खूबसूरत कुत्तों में शुमार है. टी नाम के इस खूबसूरत अफ़गानी कुत्ते की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो गई हैं. रेशमी जुल्फों वाले इस कुत्ते को आसानी से कोई भी कंपनी अपने हेयर प्रॉडक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकती है.




सोशल मीडिया इस कुत्ते की खूबसूरती का ऐसा दीवाना हुआ कि अब तक इसे एक मिलियन से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है. इस कुत्ते के मालिक ल्यूक कावाना के मुताबिक, "मुझे ये तो पता था कि यह बेहद खास किस्म का कुत्ता है लेकिन मुझे इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि यह सोशल मीडिया पर इतना मशहूर हो जाएगा.'




ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रहने वाले ल्यूक ने बताया कि, 'जब मैं इसे वीकेंड पर घुमाने ले जाता हूं तो अपने बालों और चाल की वजह से यह आस-पास मौजूद लोगों को काफी आकर्षित करता है.' 'मुझे लगता है कि लोग इसकी तस्वीरों की तरफ इसलिए आकर्षित हुए, क्योंकि टी के बाल और उसका लुक का तालमेल बेहद खास है.


ऑनलाइन मशहूर होने के बाद से टी ने कुत्तों के लक्ज़री फूड ब्रांड रॉयल कैनाइन और कुत्तों के परफ्यूम के लिए एक विज्ञापन पाने में भी कामयाबी पाई है. दो बच्चों के पिता ल्यूक ने बताया कि इंटरनेट पर वायरल होने के बाद कई कंपनियों ने टी को अप्रोच किया है.



 लेकिन थोड़े पैसे कमा लेने के बाद टी शांति से घर पर आराम फरमाना पसंद करता है क्योंकि शूट की तैयारियों के चलते वह घर पर काफी कम समय दे पाता है. ल्यूक ने बताया कि मेरा टी के साथ बेहद खास संबंध है और हमने एक-दूसरे के साथ कुछ यादगार पल बिताए हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि बरमूडा ट्राइंगल का रहस्य छिपा है उसके ऊपर मौजूद Hexagonal बादलों में

वैज्ञानिकों का मानना है कि बरमूडा ट्राइंगल का रहस्य छिपा है उसके ऊपर मौजूद Hexagonal बादलों में
दुनिया के कई रहस्यों में से एक है उत्तर अटलांटिक महासागर के पश्चिमी भाग का हिस्सा, बरमूडा त्रिकोण या बरमूडा ट्राइंगल. ये एक ऐसा सवाल है, जिसका कोई जवाब नहीं, पर अटकलें बहुत हैं.

500,000 किलोमीटर वर्ग मैं फैला महासागर का ये हिस्सा सैकड़ों हवाई और पानी के जहाजों को निगल चुका है. पिछले 100 सालों में 1000 से अधिक लोग यहां आने के बाद लुप्त हो चुके हैं. मीलों दूर से गुज़र रहे जहाज़ भी इस मौत के बवंडर की ओर खिंचे चले आते हैं.

इस रहस्य से कई मान्यताएं और कहानियां जुड़ी हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यहां कोई अलौकिक शक्ति है, जो जहाजों को अपनी ओर खींचती है. दूसरी ओर लोग कहते हैं कि यहां से कोई दिव्य रौशनी निकलती है, जिसका कुछ पता नहीं कि वो कहां से उत्पन्न होती है. वही रौशनी तूफान का रूप लेकर सब कुछ खींच लेती है. कई लोगों ने तो समुद्री दानव की बात भी कही है, जो ये सब कर रहा है. लेकिन लोगों की ​इन सभी मान्यताओं पर पानी फेर दिया है वैज्ञानिकों के इस दावे ने.

वैज्ञानिकों का दावा है कि ये मौसमीय घटनाओं की वजह से हो रहा है. बरमूडा ट्राइंगल के ऊपर हेक्सागनल आकार (षटकोणीय) के बादल बनते हैं, जो कि Air Bombs से मिलकर बने होते हैं. इन Air Bombs से उत्पन्न हवा से समुद्र में 45 फीट ऊंची लहरें बनती हैं.

Meteorologist Randy Cerveny ने The Mirror से बताया कि-

ये Air Bombs, Micro Bursts से मिल कर बने होते हैं. ये Micro Bursts बादलों के नीचे से निकलते हैं और फट जाते हैं. ये फट कर महासागर में टकराते हैं और विशाल आकार की लहरें बनती हैं.  शोधकर्ताओं ने बताया कि बरमूडा द्वीप के पश्चिमी सिरे पर काफी बड़े बादल देखने को मिलते हैं, करीब 20 से 55 मील तक फैले हुए. ज़्यादातर बादल सीधे होने के बजाए तितरे-बितरे होते हैं. वैज्ञानिक इसी मौसमीय घटना को बरमूडा ट्राइंगल के पीछे छिपा रहस्य मानते हैं.

पद्मनाभस्वामी मंदिर का सातवां द्वार है एक रहस्य, 16वीं सदी का ’सिद्ध पुरूष’ ही इसे खोल सकता है

पद्मनाभस्वामी मंदिर का सातवां द्वार है एक रहस्य, 16वीं सदी का ’सिद्ध पुरूष’ ही इसे खोल सकता है
केरल के तिरुवनन्तपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर काफ़ी प्रसिद्ध है. यह मंदिर पूरी तरह से भगवान विष्णु को समर्पित है. यह भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है. देश-विदेश के कई श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं. इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है, शेषनाग पर शयन मुद्रा में भगवान विराजमान. यह मंदिर काफ़ी रहस्यों से भरा है. यह विश्व का सबसे अमीर मंदिर है. इस मंदिर में करीब 1,32,000 करोड़ की मूल्यवान संपत्ति है, जो स्विटज़रलैंड की संपत्ति के बराबर है. देखा जाए, तो इस मंदिर के पीछे कई कहानियां हैं, जिन्हें जानने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे.
Source: Kerala
18वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने पद्मनाम मंदिर को बनाया था. सबसे अहम बात ये है कि इसका ज़िक्र 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में भी आता है. 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को 'पद्मनाभ दास' बताया, जिसका मतलब 'प्रभु का दास' होता है. इसके बाद शाही परिवार ने खुद को भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया. इस वजह से त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी दौलत पद्मनाभ मंदिर को सौंप दिया.
Source: Kanigas
1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने इस राज्य में राज किया. हालांकि, आज़ादी के बाद इसे भारत में विलय कर दिया गया. विलय होने के बावज़ूद सरकार ने इस मंदिर को अपने कब्ज़े में नहीं लेकर, त्रावणकोर के शाही परिवार को सौंप दी. अब इस मंदिर की देखभाल शाही परिवार के अधीनस्थ एक प्राइवेट ट्रस्ट करता है.
Source: Dollsofindia
संपत्ति और रहस्य को देखते हुए कई लोगों ने इसके द्वारों को खोलने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. 7 सदस्यों की निगरानी में अब तक 6 द्वार खोले जा चुके हैं, जिनसे करीब 1,32,000 करोड़ के सोने और जेवरात मिले. लेकिन सबसे दिलचस्प बात सातवें गेट की है. ये अभी तक पूरी दुनिया के लिए रहस्य बना हुआ है, जिसे अभी तक खोला जाना है.
Source: Media
वैसे जब भी इस मंदिर के ख़जाने को खोलने की बात होती है, तो इसमें अनहोनी की कहानी भी जुड़ जाती है. दरअसल, सातवें गेट में ना कोई वोल्ट है, और ना ही कोई कुंडी. गेट पर दो सांपों के प्रतिबिंब लगे हुए हैं, जो इस द्वार की रक्षा करते हैं. इस गेट को खोलने के लिए किसी कुंजी की ज़रूरत नहीं पड़ती है, इसे मंत्रोच्चारण की मदद से ही खोल सकते हैं.
Source: Blog
यह एक गुप्त गृह है, जिसकी रक्षा 'नाग बंधम्' करते हैं. इस गेट को कोई 16वीं सदी का'सिद्ध पुरूष', योगी या फ़िर कोई तपस्वी ही 'गरुड़ मंत्र' की मदद से खोल सकता है.

नियमानुसार, 'गरुड़ मंत्र' का स्पष्ट तरीके से उच्चारण करने वाला सिद्ध पुरूष ही इस गेट को खोल पाएगा. अगर उच्चारण सही से नहीं किया गया, तो उसकी मृत्यु हो जाती है. अभी हाल में याचिकाकर्ता की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गई.

Source: Jagran
देश के शंकराचार्य इस पूरे मामले पर कहते हैं कि "सातवें दरवाजे को खोलने के बारे में देश का उच्चतम न्यायालय फैसला करने वाला है, ऐसे में मंदिर की संपत्ति की देख-रेख राजपरिवार के हाथों में सौंपना सही होगा."
90 वर्षीय त्रावणकोर राजपरिवार के प्रमुख तिरुनल मार्तंड वर्मा ने अंग्रेज़ी अख़बार टेलीग्राफ़ को दिए एक इंटरव्यू में कहते हैं कि हमने अपनी पूरी ज़िंदगी इस मंदिर की देखभाल में लगा दी है. हम इस मंदिर और भगवान विष्णु की सेवा में तत्पर हैं. सातवें द्वार के खुलने का मतलब देश में प्रलय आना है. हमारी कोशिश है कि इसे रहस्य ही रहने दिया जाए.

इस मंदिर से मिली संपत्ति को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वाकई यह काफ़ी रहस्यमयी मंदिर है. कई लोगों का मानना है कि सभी संपतियों को जनता की भलाई के कामों में लगा देना चाहिए, जो काफ़ी हद तक सही भी है.