वैज्ञानिकों का मानना है कि बरमूडा ट्राइंगल का रहस्य छिपा है उसके ऊपर मौजूद Hexagonal बादलों में

दुनिया के कई रहस्यों में से एक है उत्तर अटलांटिक महासागर के पश्चिमी भाग का हिस्सा, बरमूडा त्रिकोण या बरमूडा ट्राइंगल. ये एक ऐसा सवाल है, जिसका कोई जवाब नहीं, पर अटकलें बहुत हैं.

500,000 किलोमीटर वर्ग मैं फैला महासागर का ये हिस्सा सैकड़ों हवाई और पानी के जहाजों को निगल चुका है. पिछले 100 सालों में 1000 से अधिक लोग यहां आने के बाद लुप्त हो चुके हैं. मीलों दूर से गुज़र रहे जहाज़ भी इस मौत के बवंडर की ओर खिंचे चले आते हैं.

इस रहस्य से कई मान्यताएं और कहानियां जुड़ी हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यहां कोई अलौकिक शक्ति है, जो जहाजों को अपनी ओर खींचती है. दूसरी ओर लोग कहते हैं कि यहां से कोई दिव्य रौशनी निकलती है, जिसका कुछ पता नहीं कि वो कहां से उत्पन्न होती है. वही रौशनी तूफान का रूप लेकर सब कुछ खींच लेती है. कई लोगों ने तो समुद्री दानव की बात भी कही है, जो ये सब कर रहा है. लेकिन लोगों की ​इन सभी मान्यताओं पर पानी फेर दिया है वैज्ञानिकों के इस दावे ने.

वैज्ञानिकों का दावा है कि ये मौसमीय घटनाओं की वजह से हो रहा है. बरमूडा ट्राइंगल के ऊपर हेक्सागनल आकार (षटकोणीय) के बादल बनते हैं, जो कि Air Bombs से मिलकर बने होते हैं. इन Air Bombs से उत्पन्न हवा से समुद्र में 45 फीट ऊंची लहरें बनती हैं.

Meteorologist Randy Cerveny ने The Mirror से बताया कि-

ये Air Bombs, Micro Bursts से मिल कर बने होते हैं. ये Micro Bursts बादलों के नीचे से निकलते हैं और फट जाते हैं. ये फट कर महासागर में टकराते हैं और विशाल आकार की लहरें बनती हैं.  शोधकर्ताओं ने बताया कि बरमूडा द्वीप के पश्चिमी सिरे पर काफी बड़े बादल देखने को मिलते हैं, करीब 20 से 55 मील तक फैले हुए. ज़्यादातर बादल सीधे होने के बजाए तितरे-बितरे होते हैं. वैज्ञानिक इसी मौसमीय घटना को बरमूडा ट्राइंगल के पीछे छिपा रहस्य मानते हैं.

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