नई दिल्ली। जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोग सुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरता है, वह अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरता है वह भी भूत बनकर भटकता है। इसके अलावा जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में मन, वचन और कर्म से खूब हिंसा की है, वह भी भूत बनकर भटकता है। अंत में यह भी कि जो आत्मा ज्यादा स्मृतिवान या ध्यानी है, उसे ही अपने मरने का ज्ञान होता है और वही भूत बनती है।
इसके अलावा जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में मन, वचन और कर्म से खूब हिंसा की है वह भी भूत बनकर भटकता है। अंत में यह भी कि जो आत्मा ज्यादा स्मृतिवान या ध्यानी है उसे ही अपने मरने का ज्ञान होता है और वही भूत बनती है। गरूड़ पुराण के अनुसार ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते, वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।